प्रदीप डाहलिया – ग्रीन मैन ऑफ यूपी और पर्यावरण योद्धा

प्रदीप डाहलिया – ग्रीन मैन ऑफ यूपी और पर्यावरण योद्धा

प्रदीप डाहलिया – ग्रीन मैन ऑफ यूपी और पर्यावरण योद्धा

गौतम बुद्ध नगर का नाम अब सिर्फ औद्योगिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, और इसके पीछे एक बड़ा नाम है – प्रदीप डाहलिया, जिन्हें लोग प्रेम से ग्रीन मैन ऑफ यूपी भी कहते हैं।पिछले एक दशक में प्रदीप डाहलिया जी ने 5 लाख से अधिक पौधे रोपित कराए, जिनमें नीम, पीपल, बरगद, अमलतास, गुलमोहर, कचनार जैसे पर्यावरण हितैषी प्रजातियां शामिल हैं।इन पौधों को सिर्फ लगाया ही नहीं गया, बल्कि उनकी देखभाल और संरक्षा की भी व्यवस्था की गई, ताकि वे वनों की तरह विकसित हो सकें। इसके लिए ट्री बैंक जैसे नवाचार शुरू किए गए, जहां से ग्रामीणों और संस्थानों को निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं।

तालाबों का पुनर्जीवन – जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

गौतम बुद्ध नगर और आसपास के क्षेत्रों में जल स्तर गिरने और जल संकट की समस्या को देखते हुए प्रदीप डाहलिया जी ने 50 से अधिक तालाबों का पुनर्जीवन कराया। इन तालाबों की गाद हटाकर, चारों ओर वृक्षारोपण कर और प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनः जोड़कर उन्हें स्थायी जल भंडारण केंद्र में बदला गया। इससे न सिर्फ जल स्तर में सुधार हुआ, बल्कि पक्षियों और जलीय जीवों का आवास भी पुनः स्थापित हुआ।

गौतम बुद्ध नगर के 124 गांवों की सीवर लाइन परियोजना में प्रयास

प्रदीप डाहलिया जी का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण केवल पेड़ लगाने या जल संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वच्छ जल निकासी व्यवस्था भी इसका अहम हिस्सा है। इसी सोच के तहत वे गौतम बुद्ध नगर के 124 गांवों में सीवर लाइन चालू करवाने के प्रयास कर रहे हैं। यह कदम नालों के गंदे पानी को सीधे नदियों और तालाबों में जाने से रोकने में मदद करेगा, जिससे जल प्रदूषण पर लगाम लगेगी।

ग्रीन बेल्टों का पुनर्जीवन – शहरी विकास के बीच पर्यावरण की सांस

तेजी से हो रहे शहरीकरण में ग्रीन बेल्ट अक्सर नजरअंदाज हो जाती हैं। प्रदीप डाहलिया जी ने इन भूखंडों को फिर से जीवंत करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कई सूखी और बंजर पड़ी ग्रीन बेल्टों को घने, छायादार और फूलों से भरपूर हरित क्षेत्र में बदला। इससे न केवल स्थानीय लोगों को स्वच्छ हवा और प्राकृतिक सुंदरता मिली, बल्कि कार्बन फुटप्रिंट घटाने में भी मदद मिली।

मिनिस्ट्री के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहल

पर्यावरणीय कार्यों में प्रदीप डाहलिया जी ने केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि भारत सरकार के मंत्रालयों के साथ मिलकर भी कई परियोजनाओं में सहयोग किया। मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति, और मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट जैसी संस्थाओं के साथ साझेदारी कर उन्होंने जल संरक्षण, स्वच्छता, और वृक्षारोपण अभियानों को बड़े स्तर पर लागू किया।

संघर्ष और संकल्प

पर्यावरण संरक्षण का यह सफर आसान नहीं था। कई बार जमीन, संसाधनों और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रदीप डाहलिया जी ने कभी हार नहीं मानी।
उनका कहना है –

“प्रकृति हमें जीवन देती है, बदले में हमें भी उसे संवारना और बचाना हमारी जिम्मेदारी है।”

भविष्य की योजना

अगले 5 वर्षों में 11 लाख अतिरिक्त पौधे लगाने का लक्ष्य।

गौतम बुद्ध नगर के सभी तालाबों को पुनर्जीवित करना।

सभी गांवों में स्वच्छ सीवर और ड्रेनेज सिस्टम की स्थापना।

बच्चों और युवाओं में पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन स्कूल प्रोग्राम शुरू करना।

निष्कर्ष:
प्रदीप डाहलिया जी का काम इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति भी यदि संकल्प ले तो पूरे समाज में परिवर्तन ला सकता है। उनकी सोच और मेहनत ने गौतम बुद्ध नगर को एक नई पहचान दी है – हरियाली, स्वच्छता और जल संरक्षण की मिसाल।उनकी कहानी हमें सिखाती है कि धरती को बचाना किसी एक दिन का काम नहीं, बल्कि जीवन भर की जिम्मेदारी है।

प्रदीप डाहलिया पर्यावरणविद

9350263655

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